गुण संधि की परिभाषा : (Gun Sandhi Ke Niyam, Gun Sandhi Ke Udaharan

स्वर संधि के कितने प्रकार होते हैं। वह दीर्घ संधि के अध्याय को पूरा किया। स्वर संधि का दूसरा भेद गुण संधि की परिभाषा के बारे में अध्याय करेंगे।

गुण संधि की परिभाषा, (Gun Sandhi Ki Paribhasha )

गुण संधि के सूत्र -“आद् गुण”


सज्ञा सूत्र- “आदेड् गुण”
यदि प्रथम पद के अंत में हृस्व या दीर्घ अ,ही तथा द्वितीय पद के प्रारंभ में इ,उ,ऋ,लृ मे से कोई स्वर आए तो
क्रमशः अ +इ =ए

  • अ +उ = ओ
  • अ+ऋ= अर्
  • अ+लृ =अल् हो जाता है

गुण संधि का सूत्र, गुण संधि के उदाहरण (gun sandhi ka sutra)

गुण संधि के संकेत सूत्र – अ + इ = ए

  • काव्य + इतर = काव्येतर
  • इतर + इतर = इतरेतर
  • अन्य + इतर = अन्येतर
  • विवाह + इतर = विवाहेतर
  • शिक्षण + इतर = शिक्षणेतर
  • आर्य + इतर = आर्येतर
  • वाच + इतर = वाचेतर
  • शब्द + इतर = शब्देतर
  • मम + इतर = ममेतर
  • मानव + इतर = मानवेतर
  • साहित्य + इतर = साहित्येतर
  • शुभ + इच्छा = शुभेच्छा
  • अल्प + इच्छा = अल्पेच्छा/छ
  • हित + इच्छा = हितेच्छा
  • स्व + इच्छा = स्वेच्छा
  • यथा+इच्छा = यथेच्छ/ छा

गुण संधि के संकेत सूत्र – आ + इ = ए (gun sandhi ka sutra)

  • नग + इन्द्र = नगेन्द्र
  • महा + इन्द्र = महेन्द्र
  • व्रज + इन्द्र = व्रजेन्द्र
  • उप + इन्द्र = उपेन्द्र
  • शिव + इन्द्र = शिवेन्द्र
  • मृग + इन्द्र = मृगेन्द्र
  • मानव + इन्द्र = मानवेन्द्र
  • गज + इन्द्र = गजेन्द्र
  • भारत + इन्द्र = भारतेन्द्र
  • धीर + इन्द्र = धीरेन्द्र
  • राजन्/राजा+इन्द्र = राजेन्द्र
  • खग + इन्द्र = खगेन्द्र
  • मत्स्य + इन्द्र = मत्स्येन्द्र
  • योग + इन्द्र = योगेद्र
  • देव + इन्द्र = देवेन्द्र
  • संकेत सूत्र- आ + ई = ए
  • महा + ईश = महेश
  • राका + ईश = राकेश
  • उमा + ईश = उमेश
  • अल्प + ईश = अल्पेश
  • खग + ईश = खगेश
  • ऋत +ईश = ऋतेश
  • मिथिला +ईश = मिथिलेश
  • विमला + ईश = विमलेश
  • तप + ईश = तपेश
  • हषिक + ईश = हृषिकेश
  • नाग + ईश = नागेश
  • रमा + ईश = रमेश
  • द्वारका + ईश = द्वारकेश
  • अखिल + ईश = अखिलेश
  • जित + इन्द्रिय इंद्रिय = जितेन्द्रिय/जितेंद्रिय
  • ज्ञान + इंद्रिय = ज्ञानेंद्रिय
  • कर्म+इन्द्रिय = कर्मेन्द्रिय
  • प्राण + इन्द्रिय = घ्राणेन्द्रिय
  • रसना + इन्द्रिय = रसनेन्द्रिय
  • शुभ + इच्छु = शुभेच्छु
  • भोजन + इच्छुक = भोजनेच्छुक
  • न+इति = नेति
  • अन्त्य + इष्टि = अन्त्येष्टि
  • प्र + इषिति = प्रेषिति
  • प्रइ + षक = प्रेषक
  • प्र + ईक्षक = प्रेक्षक
  • सुधा + इन्दु = सुधेन्दु
  • नव + इन्दु = नवेन्दु
  • अंक + ईक्षण = अंकेक्षण
  • गुडाका + ईश = गुडाकेश
  • उप + ईक्षा = उपेक्षा
  • अप + ईक्षा = अपेक्षा
  • प्र + ईक्षा = प्रेक्षा
  • स + अप + ईक्ष = सापेक्ष
  • निर्+अप +ईक्ष = निरपेक्ष
  • सिद्ध + ईश्वरी = सिद्धेश्वरी
  • देव+ईश्वर = देवेश्वर
  • परम + ईश्वरः = परमेश्वर
  • योग + ईश्वर = योगेश्वर
  • महा + ईश्वर = महेश्वर

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गुण संधि के संकेत सूत्र :- अ/आ+उ/ऊ = ओ

  • स्वर + उदय = स्वरोदय
  • भाग्य + उदय = भाग्योदय
  • महा + उदय = महोदय
  • अन्त्य + उदय = अन्त्योदय
  • सूर्य + उदय = सूर्योदय
  • नर + उचित = नरोचित
  • बाल + उचित = बालोचित
  • मानव + उचित = मानवोचित
  • मित्र + उचित = मित्रोचित
  • पुरुष + उचित = पुरुषोचित
  • अवसर + उचित = अवसरोचित
  • यथा+उचित = यथोचित
  • देव + उचित = देवोचित
  • वीर + उचित = वीरोचित
  • दर्प + उक्ति = दर्पोक्ति
  • व्यंग्य + उक्ति = व्यंग्योक्ति
  • अतिशय + उक्ति = अतिशयोक्ति
  • समास + उक्ति = समासोक्ति
  • लोक +उक्ति = लोकोक्ति
  • अन्य + उक्ति = अन्योक्ति
  • वक्र + उक्ति = वक्रोक्ति
  • वेद + उक्ति = वेदोक्ति
  • पूर्व +उक्त = पूर्वोक्त
  • वेद + उक्त = वेदोक्त
  • भय + उत्पादक = भयोत्पादक
  • प्रेम + उत्पादक = प्रेमोत्पादक
  • करुणा+उद्पादक = करुणोत्पादक
  • आनंद + उत्कर्ष = आनंदोत्कर्ष
  • भाव + उत्कर्ष = भावोत्कर्ष
  • प्राण + उत्कर्ष = प्राणोत्कर्ष
  • चरम + उत्कर्ष = चरमोत्कर्ष
  • रस + उत्कर्ष = रसोत्कर्ष
  • पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम
  • जीर्ण + उद्घार = जीर्णोद्धार
  • दुग्ध + उपजीवी = दुग्धोपजीवी
  • शाक + उपजीवी = शाकोपजीवी
  • भाव + उद्रेक = भावोद्रेक
  • रस + उद्रेक = रसोद्रेक
  • वैर + उद्घार = वैरोद्घार
  • नव + उन्मेष = नवोन्मेष
  • हत + उत्साह = हतोत्साह
  • प्राण + उत्सर्ग = प्राणोत्सर्ग
  • स + अंग + उप + अंग = सांगोपांग
  • ग्राम + उत्थान = ग्रामोत्थान
  • दलित + उत्थान = दलितोत्थान
  • यज्ञ + उपवीत = यज्ञोपवीत
  • लंबा + उदर = लंबोदर
  • उन्नत + उदर = उन्नतोदर
  • धीर + उदात्त = धीरोदात्त
  • स + उत्साह = सोत्साह
  • कठ + उप + नि + सद् = कठोपनिषद्
  • ईश + उप + नि + सद् = ईशोपनिषद्
  • हर्ष + उल्लास (उद्-लास) = हर्षोल्लास
  • हिम + उपल = हिमोपल
  • पुष्प + उद्यान = पुष्पोद्यान
  • रहस्य + उद्घाटन = रहस्योद्घाटन
  • प्र + उत्साहक = प्रोत्साहक
  • सर्व + उपरि = सर्वोपरि
  • देव + उपरि = देवोपरि
  • जन + उपयोगी = जनोपयोगी
  • स + उदाहरण = सोदाहरण
  • कथा + उपकथन = कथोपकथन
  • पद + उन्नति = पदोन्नति
  • स्वातन्त्र्य + उत्तर = स्वातन्त्र्योत्तर
  • पश्चिम + उत्तर = पश्चिमोत्तर
  • उत्तर+उत्तर = उत्तरोत्तर
  • प्रश्न + उत्तर = प्रश्नोत्तर
  • प्र + उत्साहन = प्रोत्साहन
  • सह + उदर = सहोदर
  • हित+उपदेश = हितोपदेश
  • आत्म + उत्सर्ग = आत्मोत्सर्ग
  • मरण + उपरान्त = मरणोपरान्त
  • धीर + उद्घत = धीरोद्धत
  • नव + उत्पल = नवोत्पल
  • नील + उत्पल = नीलोत्पल
  • अन्योन्य + उपाय = अन्योन्योपाय
  • दीप + उत्सव = दीपोत्सव
  • महा + उद् + सव = महोत्सव
  • विवाह + उद् + सव = विवाहोत्सव
  • क्षुधा + उद् + तेजन = क्षुधोत्तेजन
  • जल + ऊष्मा = जलोष्मा
  • नव + ऊढ़ा = नवोढा
  • जल + ऊर्मि = जलोर्मि
  • सागर + ऊर्मि = सागरोर्मि
  • भाव + ऊर्मि = भावोर्मि
  • गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि
  • यमुना + ऊर्मि = यमुनोर्मि
  • महा + ऊर्जा = महोर्जा
  • सूर्य + ऊर्जा = सूर्योर्जा
  • नव + ऊर्जा = नोर्जा
  • स + उद्देश्य = सोद्देश्य
  • रम्भा + ऊरु = रम्भोरु
  • महा + ऊरु = महोरु
  • सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
  • विद्या + उन्नति = विद्योन्नति
  • मद + उन्मत्त = मदोन्मत्त
  • पूर्ण + उपमा = पूर्णोपमा
  • प्र + उन्न्यल (उद्ज्वल) = प्रोज्ज्वल
  • प्र + उन्नति = प्रोन्नति
  • धनिक + उत्थान = धनिकोत्थान
  • जन+उत्सव = जनोत्सव
  • अरुण + उदय = अरुणोदय
  • अमृत+उपमा = अमृतोपमा
  • अरुण + उदधि = अरुणोद्धि
  • क्षीर + उदधि = क्षीरोदधि
  • कुंभ + उदर = कुंभोदर
  • भीम + उदर = भीमोदर
  • नत + उदर = नतोदर
  • कृश + उदर = कृशोदर
  • घट + उत्कच = घटोत्कच
  • चित्त + उद्रेक = चित्तोद्रेक
  • देव + उद्यान = देवोद्यान
  • न्याय + उचित = न्यायोचित
  • नाट्य + उचित = नाट्‌योचित
  • तंडुल + उदक = तंडुलोदक
  • पाद + उदक = पादोदक
  • पुण्य + उदक = पुण्योदक
  • तीर्थ + उदक = तीर्थोदक
  • स्नान + उदक = स्नानोदक
  • प्राप्त + उदक = प्राप्तोदक
  • मूल + उच्छेद = मूलोच्छेद
  • मरण +उन्मुख = मरणोन्मुख
  • फेन + उज्ज्वल = फेनोज्ज्वल
  • प्रतीक + उपासना = प्रतीकोपासना
  • मल + उत्सर्ग = मलोत्सर्ग
  • भग्न + उत्साह = भग्नोत्साह
  • उष्ण + उष्ण = उष्णोष्ण
  • धार + उष्ण = धारोष्ण
  • व्याज + उक्ति = व्याजोक्ति
  • प्रिय + उक्ति = प्रियोक्ति

गुण संधि के संकेत सूत्र – अ/आ+ऋ-अर्

सामान्यतः जिन शब्दों के अन्त में ‘र्तु’ र्ण, र्षि आए तो वहाँ गुण सन्धि हो सकती है।

  • वसंत + ऋतु = वसंतर्तु
  • शीत + ऋतु = शीतर्तु
  • वर्षा + ऋतु = वर्षर्तु
  • ग्रीष्म + ऋतु = ग्रीष्मर्तु
  • प्रेम + ऋतु = प्रेमर्तु
  • सदा+ ऋतु = सदर्तु
  • हिम + ऋतु = हिमर्तु
  • हेमंत + ऋतु = हेमंतर्तु
  • शिशिर + ऋतु = शिशिरर्तु
  • देव + ऋषि = देवर्षि
  • कण्व + ऋषि = कण्वर्षि
  • भरत + ऋषि = भरतर्षि
  • सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
  • ब्रह्मन् + ऋषि = ब्रह्मर्षि
  • राजन् + ऋषि = राजर्षि
  • नारद + ऋषि = नारदर्षि
  • कुल + ऋषि = कुलर्षि
  • महान् + ऋषि = महर्षि
  • सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
  • साम + ऋचा = सामर्चा
  • देव + ऋचा = देवर्चा
  • उत्तम + ऋण = उत्तमर्ण
  • अधम + ऋण = अधमर्ण
  • देव + ऋण = देवर्ण
  • महा + ऋण = महर्ण

आशा करते हैं कि आपको इस ब्लॉग से आपको गुण संधि (गुण संधि की परिभाषा) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी संधि से जुड़े हुए अन्य महत्वपूर्ण और रोचक ब्लॉग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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