हिंदी में वचन कितने प्रकार के होते हैं (उदाहरण व नियम)

हिंदी में वचन कितने प्रकार के होते हैं, (उदाहरण व नियम)

हिंदी में वचन कितने प्रकार के होते हैं – वचन शब्द का प्रयोग कथन अथवा दिये गये आश्वासन के अर्थ से लिया जाता है। व्याकरण में वचन का अर्थ संख्या से लिया जाता है। एक से अनेक का बोध कराने वाला व्याकरण का विशेष विधान ही वचन है। इस प्रकार शब्द के जिस रूप से किसी संख्या का बोध होता है उसे वचन कहते हैं।

हिन्दी में वचन दो होते हैं

  • (1) एकवचन
  • (2) बहुवचन

एकवचन और बहुवचन के उदाहरण

1. एकवचन – वह विकारी शब्द जिसके रूप से किसी एक संस्था का बोध होता है उसे एकवचन कहते हैं। जैसे- लडका, भरत, मेरा, शेर, सोना, चाँदी, लोहा, स्टील, पानी, दूध, जनता, आग, आकाश, सत्य, झूठ,घी, मिठास, प्रेम, मोह, सहायता, तेल, वषा जल, क्रोध, क्षमा, हवा इत्यादि।

2. बहुवचन – शब्द के जिस रूप से अधिक वस्तुओं का बोध होता है, उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे- लड़के, पत्ते, घोड़े, कमरे, बातें, तिथियाँ। कुछ शब्द हिन्दी में बहुवचन में ही प्रयुक्त होते हैं। जैसे- होश, दर्शन, हस्ताक्षर, प्राण, भाग्य, आदरणीय, आप, दाम, समाचार, बाल, लोग हाल-चाल इत्यादि। बहुत से पुल्लिंग शब्दों के रूप में एक वचन और बहुवचन समान ही हैं। जैसे बाबा, चाचा, मामा, राजा, सूर्य, बन्दर, चन्द्रमा, दादा, लाला, देवता आदि।

हिन्दी में कई बार आदर सूचक शब्दों का प्रयोग बहुवचन में होता है। जैसे-

1. आपके दर्शन हुएँ।

2. हमारे राष्ट्रपति महोदय पधार रहे हैं।

3. शिवाजी देश भक्त थें।

4. गाँधी जी हमारे पूज्य थें।

अनेक बार,समूह, समुदाय, गण, जन, वृन्द, मण्डली आदि शब्द बहुवचन का बोध कराते हैं। जैसे- छात्र-समुदाय, विद्यार्थी-गण, सन्त-जन, सज्जन वृन्द, वृद्ध-मण्डली इत्यादि।

ये भी पढ़े 👉🏻 गुण संधि की परिभाषा : (gun sandhi ke niyam) व उदाहरण

एकवचन से बहुवचन बनाने के नियम

हिन्दी में एक वचन से बहुवचन बनाने के कुछ नियम इस प्रकार हैं-

(1 शब्द के अन्त में आए ‘आ’ को ‘ए’ में बदलकर एक वचन को बहुवचन में बदला जा सकता है।

एकवचन बहुवचन
लड़कालड़कें
खिलौना खिलौनें
कमरा कमरें
बस्ता बस्ते
चीता चीते
कुत्ता कुत्ते
घोड़ा घोड़े
पपीता पपीते
रसगुल्ला रसगुल्ले

2 शब्द के अन्त में आये ‘अ’ को ए में बदलकर एक वचन से बहुवचन बनाया जाता है।

जैसे

एकवचन बहुवचन
मालिन मालिनें
ग्वालिन ग्वालिनें
पाँख पाँखें
बात बातें
पुस्तक पुस्तकें
दीवार दीवारें
सड़क सड़कें
कलम कलमें

3. शब्द के अन्त में ‘आ के साथ एँ’ जोड़कर बहुवचन बनाये जा सकते है।

जैसे –

एकवचन बहुवचन
कविता कविताएँ
कथाकथाएँ
नदी नदियाँ
रीति रीतियाँ
तिथि तिथियाँ
डिबिया डिबियाँ
गुड़िया गुड़ियाँ

4. विकारी शब्द रूप में एक वचन नहीं होता है। यह दो रूपों में है।

जैसे –

  1. ने, को, से, का, की, के, में पर आदि शब्दांश रहित।
  2. ने, को. से, का, की, के, में पर आदि शब्दांश सहित ।

5. अकारान्त पुल्लिंग अथवा स्त्रीलिंग शब्दों का भी बहुवचन रूप ओंकारान्त हो जाता है।

जैसे – बैल ने-बैलों ने, गाय ने गायों ने।

6. आकारान्त पुल्लिंग अथवा स्त्रीलिंग शब्दों का भी बहुवचन रूप ओंकारान्त हो जाता है। बछिया का बछियों, घड़ा का घड़ों इत्यादि।

7 ऊकारान्त पुल्लिंग या स्त्रीलिंग शब्द के ‘ऊ’ शब्द को हस्व करके शब्द के अन्त में ‘ओ’ जोड़ने पर ही बहुवचन बनता है। जैसे- भालू ने भालुओं, भिक्षुक ने भिक्षुकों ने।

8. एकारान्त तथा ओकारान्त शब्दों के अन्त में ‘ओं जोड़ने पर बहुवचन रूप बनता है। जैसे- चौबेने – चौबेओं ने जौ का-जौओं का।

9. शब्दांश रहित शब्दों से बहुवचन बनाना –

(क) पुल्लिंग आकारान्त शब्द प्रायः एकारान्त हो जाता है जैसे- लड़का-लड़के, तोता-तोते, चीता-चीते, कुत्ता-कुत्ते, घोड़ा घोड़े, अंडा-अंड़े इत्यादि।

(ख) अधिकांश पुल्लिंग शब्दों में कोई विकार नहीं होता है। एक वचन और बहुवचन में समान ही रहते हैं। जैसे- मामा, दादा, बन्दर, राजा, देवता आदि।

(ग) स्त्रीलिंग अकारान्त शब्द एकारान्त हो जाते हैं। जैसे मालिन से मालिनें ग्वालिन से ग्वालिनें, पाँख से पाँखें, रात से रातें, बात से बातें।
(घ) स्त्रीलिंग ईकारान्त शब्द की ई को हस्व करके शब्द के अन्त में याँ शब्द जोड़ दिया जाता है। जैसे-नदी से नदियाँ, सखी से सखियाँ, रीति से रीतियाँ, तिथि से तिथियाँ आदि।

(ङ) स्त्रीलिंग आकारान्त, इकारान्त या ओंकारान्त शब्द के कम को हस्व करके ‘एँ’ जोड़ा जाता है।

जैसे- लता से लताएँ, धातु से धातुएँ गो से गौएँ, बो से बोएँ, वधू से वधुएँ। याकारान्त (ऊनवाचक) शब्द के अन्त में मात्र चन्द्र-बिन्दु लगाया जाता है। जैसे-लुटिया से लुटियाँ, डलिया से डलियाँ, बछिया से बछियाँ इत्यादि ।

शब्दांश सहित शब्दों से बहुवचन बनाना –

(क) अकारान्त पुल्लिंग अथवा स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन रूप ओकारान्त हो जाता है। जैसे- बैल ने बैलों ने, गाय ने गायों ने,।

(ख) आकारान्त पुल्लिंग अथवा स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन रूप ओंकारान्त हो जाता है। जैसे- बछिया का – बछियों का, घड़ा-घड़ों।

(ग) इकारान्त का बहुवचन शब्द के अन्त में यों लगाने पर बनता है, जबकि ईकारान्त शब्द की ई को हस्व करके शब्द के अन्त में यों लगाने पर बहुवचन बनता है। जैसे कली का-कलिओं का, कलिका-कलिकाओं, खाती से खातियों से।

(घ) ऊकारान्त पुल्लिंग या स्त्रीलिंग शब्द के ऊ को ह्रस्व करके, शब्द के अन्त में ‘ओं जोड़ने पर ही बहुवचन बनता है। जैसे- भालू ने भालुओं ने।

(ड) एकारान्त तथा ओकारान्त शब्दों के अन्त में ओं जोड़ने पर बहुवचन रूप बनता है। जैसे-चौबे ने – चौबेओं ने, जौ का जौओं का इत्यादि।

विशेष नियम –

सम्बोधन शब्दों में बहुवचन बनाते समय ओं लगाकर ‘ओ’ की मात्रा ही लगनी चाहिए। जैसे- भाइयों, बहनों, मित्रों, बच्चों, साथियों। इसी प्रकार पारिवारिक सम्बन्धों के वाचक आकारान्त देशज शब्द भी बहुवचन में प्रायः यथावत ही रहते हैं। जैसे चाचा, मामा, दादा, बाबा, परन्तु भानजा, भतीजा, साला आदि शब्दों से भानजे, भतीजे व साले आदि शब्द बनते हैं। विभक्ति रहित आकारान्त से भिन्न पुल्लिंग शब्द कभी भी परिवर्तन नहीं होते हैं।

जैसे- बालक फूल, अतिथि, हाथी, व्यक्ति, कवि, आदमी, संन्यासी, साधु, जन्तु, पशु, डाकू, उल्लू, लड्डू, रेडियो, फोटो, मोर, शेर, पति, साथी, गुरु शत्रु, भालू, चाकू आदि। विदेशी शब्दों के हिन्दी में बहुवचन हिन्दी भाषा के व्याकरण के अनुसार बनाए जाने चाहिए। जैसे स्कूल से स्कूलें, कागज से कागजों न कि कागजात। भगवान के लिए या निकटता सूचित करने के लिए ‘तू का प्रयोग किया जाता है। जैसे-हे। ईश्वर, तू बड़ा दयालु है।

अनेक बार समूह, समुदाय, गण, जन, वृन्द, मण्डली आदि सभी शब्द बहुवचन का बोध कराते हैं।

वचन आधारित प्रश्न – हिंदी में वचन कितने प्रकार के होते हैं (उदाहरण व नियम)

हिन्दी भाषा में ‘वचन’ कितने प्रकार के हैं?

(1) एकवचन (2) बहुवचन

आशा करते हैं कि आपको इस ब्लॉग से आपको (हिंदी में वचन कितने प्रकार के होते हैं, (उदाहरण व नियम) ) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी। अन्य महत्वपूर्ण और रोचक ब्लॉग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

इसके साथ आप हमारे अन्य ब्लॉग को पढ़ सकते है जिसकी लिंक निचे दी गई है।

यण संधि की परिभाषा | Yan Sandhi Ke Udaharan, Yan Sandhi Ki Paribhasha

आप अन्य सामान्य ज्ञान के लिए आप फैक्ट्स पत्रिका पर जा सकते है।

Leave a Comment