व्यंजन संधि के 100 उदाहरण
व्यंजन संधि के 100 उदाहरण– वह ध्वनि विकार (परिवर्तन) जो परस्पर दो वर्ग के (स्वर+व्यंजन, व्यंजन+स्वर, व्यंजन+व्यंजन) मेल से उत्पन्न होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं
- दिक्+अंबर = दिगंबर
- दिक्+दर्शन = दिग्दर्शन
- वाक् + ईश्वर = वागीश्वर
- वणिक + वर्ग = वणिग्वर्ग
- प्राक् + ऐतिहासिक = प्रागैतिहासिक
- वाक्+ईश = वागीश
- दिक्+अंत = दिगंत
- दृक्+अंचल = दृगंचल
- वाक्+जाल = वाग्जाल
- दिक्+भ्रम = दिग्भ्रम
- ऋक्+वेद = ऋग्वेद
- वाक् + व्रज = वाग्व्रज
- अच्+अंत = अजंत
- षट्+अंग = षडंग
- षट्+अक्षर = षडक्षर
- षट्+आनन = षड़ानन
- षट्+दर्शन = शड् दर्शन
- षट्+विकार = षड्विकार
- षट्+यन्त्र = षड्यन्त्र
- षट् + गुण = षड्गुण
- षट्+रस = षड्ररस
- जगत्+अम्बा = जगदम्बा
- सत्+आशय = सदाशय
- सत्+आनन्द = सदानन्द
- सत्+आचार = सदाचार
- चित्+अणु = चिदणु
- तत्+इच्छा = तदिच्छा
- उत्+अय = उदय
- कृत्+अन्त = कृदन्त
- सच्चित् (सत्+चित) + आनंद = सच्चिदानन्द
- सत्+आत्मा = सदात्मा
- पंच+आब = पंजाब
- सत्+इच्छा = सदिच्छा
- जगत्+ईश = जगदीश
- भवत् + ईय = भवदीय
- सत्+गति=सद्गति
- जगत+गुरु = जगद्गुरु
- भगवत्+ गीता = भगवद्गीता
- सत्+भाव = सद्भाव
- चित्+रूप = चिद्रूप
- चित्+विलास = चिविलास
- सत्+वेग = सद्वेग
- सत्+व्यवहार = सद्व्यवहार
- अप+ज = अब्ज
- अप्+द = अब्द
- दिक्+अंबर = दिगंबर
- दिक्+दर्शन = दिग्दर्शन
- वाक् + ईश्वर = वागीश्वर
- वणिक + वर्ग = वणिग्वर्ग
- प्राक् + ऐतिहासिक = प्रागैतिहासिक
- वाक्+ईश = वागीश
- दिक्+अंत = दिगंत
- दृक्+अंचल = दृगंचल
- वाक्+दान = वाग्दान
- वाक्+जाल = वाग्जाल
- दिक्+भ्रम = दिग्भ्रम
- ऋक्+वेद = ऋग्वेद
- वाक् + व्रज = वाग्व्रज
- अच्+अंत = अजंत
- षट्+अंग = षडंग
- षट्+अक्षर = षडक्षर
- षट्+आनन = षड़ानन
- षट्+दर्शन = शड् दर्शन
- षट्+विकार = षड्विकार
- षट्+यन्त्र = षड्यन्त्र
- षट् + गुण = षड्गुण
- षट्+रस = षड्ररस
- जगत्+अम्बा = जगदम्बा
- सत्+आशय = सदाशय
- सत्+आनन्द = सदानन्द
- सत्+आचार = सदाचार
- चित्+अणु = चिदणु
- तत्+इच्छा = तदिच्छा
- उत्+अय = उदय
- कृत्+अन्त = कृदन्त
- सच्चित् (सत्+चित) + आनंद = सच्चिदानन्द
- सत्+आत्मा = सदात्मा
- पंच+आब = पंजाब
- सत्+इच्छा = सदिच्छा
- जगत्+ईश = जगदीश
- भवत् + ईय = भवदीय
- सत्+गति=सद्गति
- जगत+गुरु = जगद्गुरु
- भगवत्+ गीता = भगवद्गीता
- सत्+भाव = सद्भाव
- चित्+रूप = चिद्रूप
- चित्+विलास = चिविलास
- सत्+वेग = सद्वेग
- सत्+व्यवहार = सद्व्यवहार
- अप+ज = अब्ज
- अप्+द = अब्द
- वाक्+निपुण = वाड्निपुण
- वाक्+मय = वाड्मय
- षट्+मास = षण्मास
- जगत्+ नाथ = जगन्नाथ
- अप+मय = अम्मय
- दिक्+नाग = दिड्नाग
- दिक् + मण्डल = दिड्मण्डल
- षट्+मूर्ति = षण्मूर्ति
- प्राक्+मुख = प्राङ्मुख
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