Bahuvrihi Samas Ke Udaharan : बहुव्रीहि समास के उदाहरण

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Bahuvrihi Samas Ke Udaharan- जिस समस्त पद मे दोनों पदों को छोड़कर तीसरा पद प्रधान होता है। बहुव्रीहि समास में सामान्य अर्थ की अपेक्षा अन्य अर्थ की प्रधानता रहती है। बहुव्रीहि समास में विग्रह करते समय शाब्दिक विग्रह के साथ समास का रूढ़ अर्थ अर्थात् विशेष अर्थ भी बताना पड़ता है। इस प्रकार बहुव्रीहि समास में आए हुए पदों में से कोई भी पद प्रधान नहीं होता तथा पूरा समस्त पद कोई अन्य अर्थ देता है।

Bahuvrihi Samas Ke Udaharan (बहुव्रीहि समास के उदाहरण)

  • षड़ानन = छ आनन हैं जिसके वह (कार्तिकेय)
  • दशानन = दस आनन हैं जिसके (रावण)
  • चक्रधर = चक्र धारण करने वाला (श्री कृष्ण)
  • चतुर्भुज = चार भुजाएँ है जिसके (विष्णु) 
  • मोदकप्रिय = मोदक हैं जिसको प्रिय (गणेश) 
  • दीर्घ बाहु = लम्बी भुजाएँ जिसके वह 
  • अष्ट भुजा = आठ भुजा हैं जिसके वह 
  • एकदन्त = एक है जिसके दन्त (गणेश) 
  • ब्रजपाणि = जिसके हाथ में व्रज है (इन्द्र)
  • देवराज = वह जो देवों का राजा है (इन्द्र) 
  • नाकपति = वह जो स्वर्ग का मालिक है (इन्द्र) 
  • घनश्याम = घन जैसा श्याम है जो वह है (श्रीकृष्ण) 
  • सुग्रीव = सुन्दर है ग्रीवा जिसकी वह (राम के मित्र) 
  • आशुतोष = शीघ्र प्रसन्न होने वाला (शिव)
  • प्रमथ = जो पहले ही मथ देता है (कामदेव) 
  • गिरिधर = पर्वत को धारण करने वाला है जो (श्री कृष्ण)
  • मुरारि = मुर का अरि है जो वह (श्रीकृष्ण) 
  • नीलकंठ = नीला है जिसका कंठ (शिव)
  • महादेव = देवताओं में महान है जो (शिव)
  • मयूरवाहन = मयूर है जिसका वाहन (कार्तिकेय) 
  • वाल्मीकि = वाल्मीक से उत्पन्न है जो वह (वाल्मीकि)
  • दिगम्बर = दिशाएँ ही हैं जिसका अम्बर (दिगम्बर) 
  • जितेन्द्रिय = जीत ली है इन्द्रिया जिसने वह (जितेन्द्र)
  • अष्टाध्यायी = अष्ट अध्यायों की पुस्तक है जो वह (व्याकरण)
  • नन्दनंदन = नन्द के नन्दन है जो (श्री कृष्ण)
  • व्रजवल्लभ = वह जो ब्रज का वल्लभ है (श्री कृष्ण)
  • रतिकांत = वह जो रति का पति है (कामदेव)
  • मनोज = वह जो मन में जन्म लेता है मनोज (काम)
  • कुसुमशर = वह जिसके कुसुम के बाण है (कामदेव)
  • वक्रतुंड = जिसका तुंड वक है (गणेश)
  • चन्द्रमौलि = वह जिसके मस्तिष्क पर चन्द्र है (शिव)
  • पशुपति = पशुओं का स्वामी (शिव)
  • महेश्वर = महान् है जो ईश्वर वह (शिव)
  • वाग्देवी = वह जो वाक् की देवी है (सरस्वती)
  • प‌द्मासना = कमल है जिसका आसन् (लक्ष्मी और सरस्वती)
  • वज्रांग = वह जिसका अंग व्रज का है (हनुमान)
  • कपीश्वर = वह है जो बन्दरों के ईश्वर (हनुमान)
  • इन्दुशेखर = जिसके सिर पर चन्द्रमा है (शिव) 
  • पद्मनाभ = जिसकी नाभि में कमल है (विष्णु)
  • गुरुड़ध्वज = जिनके गरुड़ का ध्वज है (विष्णु)
  • हृषिकेश = जो इन्द्रियों के ईश है (विष्णु) 
  • शेषशायी = जो शेषनाग पर शयन करते है (विष्णु) 
  • धनंजय = वह जो धन को जय करता है (अर्जुन)
  • हिमतनया = वह जो हिम की पुत्री है (पार्वती)
  • वाचस्पति = ब्रह्मा, बृहस्पति, ईश्वर सरस्वती 
  • सिंहवाहिनी = जिसके सिंह का वाहन है (दुर्गा) 
  • दुर्वासा = वह जो बुरे वस्त्र पहनता है (एक ऋषि) 
  • वंशीधर = वंशी को धारण करने वाला (श्रीकृष्ण)
  • शुभ्रवसना = शुभ्र है वस्त्र जिसके वह (सरस्वती)
  • चन्द्रभाल = चन्द्र है भाल पर जिसके वह (शंकर)
  • सबल = बल के साथ है जो वह (शक्तिशाली)
  • उदारचेता = उदार है चित जिसका वह (उदारचेता)
  • पीनोरू = बड़ी हैं जांघे जिसकी (भीम)
  • मेघनाद = मेघों के समान गर्जना है जिसकी (रावण का पुत्र)
  • दशग्रीव = दस है ग्रीवा जिसकी (रावण)
  • त्रिजटा = तीन हैं जटा जिसके (एक राक्षसी) 
  • भूमिजा = भूमि से उत्पन्न है जो (सीता)

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