दीर्घ संधि के उदाहरण- यदि हृस्व दीर्घ अ,उ,ऋ,लृ,इ,के बाद क्रमशः सम्मान वर्ण आते हैं तो दोनों को मिलाकर दीर्घ हो जाता है
दीर्घ संधि के उदाहरण
दीर्घ संधि के नियम
- अ/आ + अ/आ = आ
- इ/ई + इ/ई = ई
- उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ
- अ/आ + अ/आ = आ
अ + अ = आ
- युग + अंतर = युगांतर
- दिव्य + अस्त्र = दिव्यास्त्र
- दिवस + अंत = दिवसांत
- राष्ट्र + अध्यक्ष राष्ट्राध्यक्ष
- हस्त + अंतरण हस्तांतरण
- अस्त + अचल अस्ताचल
- उदय अचल = उदयाचल
- आग्नेय + अस्त्र = आग्नेयास्त्र
- लोहित + अंग = लोहितांग (मंगल ग्रह)
- ध्वंस + अवशेष = ध्वंसावशेष
- उप + अध्याय (अधि आय) = उपाध्याय
- नयन + अभिराम = नयनाभिराम
- सर्व + अंगीण = सर्वांगीण
- देह + अतीत = देहातीत
- दिवस + अवसान = दिवसावसान
- प्रसंग + अनुकूल = प्रसंगानुकूल
- मध्य + अवधि = मध्यावधि
- बीज + अंकुर = बीजांकुर
- भग्न + अवशेष = भग्नावशेष
- स + अनुरोध = सानुरोध
- स + अवयव = सावयव
- मर्म + अंतक = मर्मातक
- सहस्र + अब्दी (अप् + दी) सहस्त्राब्दी
- शत + अब्दी (अप्+ दी) = शताब्दी
- आनंद + अतिरेक आनंदातिरेक
- विरह + अनल = विरहानल
- रस + अनुभूति = रसानुभूति
- पाठ + अंतर = पाठांतर
- स्वत्व + अधिकार = स्वत्वाधिकार
- पत्र + अंक = पत्रांक
- पोषण + अभाव = पोषणाभाव
- दृश्य + अवली (पंक्ति) = दृश्यावली
- माम + अंचल = ग्रामांचल
- धर्म + अधिकारी = धर्माधिकारी
- स + अभिप्राय = साभिप्राय
- स + अवधि = सावधि
- मेघ + अवली = मेघावली
- विष+ अणु = विषाणु
- विक्रम + अब्द (अप् + द = वर्ष) = विक्रमाब्द
- अक्ष + अंश = अक्षांश
- सुख + अनुभूति = सुखानुभूति
- ऊर्ध्व + अधर = ऊर्ध्वाधर
- शोक + अन्वित (अनु + इत) = शोकान्वित
- हर्ष + अतिरेक = हर्षातिरेक
- क्रम + अंक = क्रमांक
- जठर + अग्नि = जठराग्नि
- पूर्ण + अंक = पूर्णांक
- उत्तर + अधिकार = उत्तराधिकार
- जन + अर्दन (पीड़ा) = जनार्दन
- स्पर्श + अनुभूति = स्पर्शानुभूति
- तथ्य + अन्वेषण (अनु + एषण) = तथ्यान्वेषण
- नव + अंकुर = नवांकुर
- सह + अनुभूति = सहानुभूति
- स्व + अनुभूत = स्वानुभूत
- अधिक + अंश = अधिकांश
- उत्तर + अर्द्ध = उत्तरार्द्ध
- देश + अटन (यात्रा) = देशाटन
- स्व + अर्थ = स्वार्थ
- न्यून + अधिक = न्यूनाधिक
- अंध + अनुगामी = अंधानुगामी
- स्व + अध्याय (अधि + आय) स्वाध्याय
- मुर + अरि = मुरारि (मुर राक्षस के शत्रु = कृष्ण)
- राम + अयन = रामायण
- तीर्थ + अटन = तीर्थाटन
- कीट + अणु = कीटाणु
- शश + अंक = शशांक
- हिम + अद्रि (पर्वत) = हिमाद्रि (हिमालय)
- स्व + अधीन स्वाधीन
- त्रिपुर + अरि = त्रिपुरारि
- शत + अधिक = शताधिक
- काम + अयनी = कामायनी
- शीत + अंशु = शीतांशु (चंद्रमा)
- हिम + अंशु (किरण) = हिमांशु (चंद्रमा)
- विचार + अधीन (अधि + इन) = विचाराधीन
- स्व + अर्थ = स्वार्थ
- वात + अयन = वातायन
- पर + अधीन पराधीन
- विकल + अंग = विकलांग
- स + अवधान = सावधान
- विंध्य + अचल (पर्वत) = विंध्याचल
- दीप + अवली = दीपावली
- लोक + अपवाद = लोकापवाद
- अर (पहिए के अरे) + अवली = अरावली
- अर्ध + अंश = अर्धांश
- पद + अर्थ = पदार्थ
- जीव + अश्म (पत्थर) = जीवाश्म
- गीत + अंजलि = गीतांजलि
- परम + अर्थ = परमार्थ
- धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
- पद + अवनत = पदावनत
- मत + अंतर = मतांतर
- अधिक + अधिक = अधिकाधिक
- दाव (वन) + अग्नि = दावाग्नि
- ऊह + अपोह = ऊहापोह
- नयन + अंबु = नयनांबु (आँसू)
- प्र + अंगन = प्रांगण
- पूर्व + अहन् (दिन) = पूर्वाण (पूर्वाह्न)
- स + अष्ट अंग = साष्टांग
- गीत + अवली (समूह) = गोतावली
- तिल + अंजलि = तिलांजलि
- दाव + अनल = दावानल
- नील + अंचल = नीलांचल
- प्र + अर्थी = प्रार्थी
- मोह + अंध = मोहांध
- मध्य + अवकाश = मध्यावकाश
- मूल्य + अंकन = मूल्यांकन
- अक्ष + अंश = अक्षांश
- रस + अयन = रसायन
- मध्य + अहन् = मध्याह्ण
- सुषुप्त + अवस्था = सुषुप्तावस्था
- शतु + अंश = शतांश
- अपर + अहन् = अपराह्ण (अपराह्न)
- अंत्य अक्षरी = अंत्याक्षरी
- गत + अनुगतिक = गतानुगतिक
- मुख + अपेक्षी = मुखापेक्षी
- देश + अंतर = देशांतर
- रोम + अवली = रोमावली
- रत्न + अवली = रत्नावली
- रोम + अवली = रोमावली
- युवन् + अवस्था = युवावस्था
- छिद्र + अन्वेषी = छिद्रान्वेषी
अ + आ = आ
- विषय + आसक्त = विषयासक्त
- भाव + आविष्ट = भावाविष्ट
- मित + आहार = मिताहार
- शीत + आकुल = शीताकुल
- आर्य + आवर्त = आर्यावर्त
- गर्भ + आधान = गर्भाधान
- ऐक्य + आत्म = ऐक्यात्म
- भय + आकुल = भयाकुल
- आम + आशय = आमाशय
- खग + आश्रय = खगाश्रय
- भय + आनक = भयानक
- स्वर्ण + आभ = स्वर्णाभ
- हिम + आगम = हिमागम
- धूम + आच्छादित (आ + छादित) = भूमाच्छादिन
- आयुध + आगार = आयुधाधार
- शयन + आगार = शयनागार
- शोक + आतुर = शोकातुर
- भय + आक्रांत = भयाक्रात
- जल + आशय = जलाशय
- गर्भ + आशय = गर्भाशय
- हिम + आवृत = हिमावृत
- तुषार + आच्छन्न (आ + छन्न) = तुषाराच्छन्न
- शंत + आयु = शतायु
- विवाद + आस्पद = विवादास्पद
- कुश + आसन = कुशासन
- स्थान + आपन्न = स्थानापन्न
- शाक + आहारी = शाकाहारी
- जन + आदेश = जनादेश
- मकर + आकृति = मकराकृति
- स्वर्ग + आरोहण = स्वर्गारोहण
- विरह + आतुर = विरहातुर
- प्रेम + आसक्त = प्रेमासक्त
- जन + आकीर्ण = जनाकीर्ण (भीड़)
- पित्त + आशय = पित्ताशय
- पंच + आयत = पंचायत
- शोक + आकुल = शोकाकुल
- कुसुम + आकर = कुसुमाकर
- कंटक + आकीर्ण = कंटकाकीर्ण
- सिंह + आसन = सिंहासन
- गमन + आगमन = गमनागमन
- हास्य + आस्पद = हास्यास्पद
- गुरुत्व + आकर्षण = गुरुत्वाकर्षण
- अन्य + आश्रित = अन्याश्रित
- यात + आयात = यातायात
- लोक + आयुक्त = लोकायुक्त
- मेघ + आच्छन्न (आ + छन्त्र) = मेघाच्छन्न
- पूर्ण + आहुति = पूर्णाहुति
- भय + आक्रांत = भयाक्रांत
- भ्रष्ट + आचार = भ्रष्टाचार
- हिम + आलय = हिमालय
- रत्न + आकर = रत्नाकर
- प्राण + आयाम = प्राणायाम
- छात्र (छात्रा) + आवास = छात्रावास
- धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
- सौभाग्य + आकांक्षिणी = सौभाग्याकांक्षिणी
- सत्य + आग्रह = सत्याग्रह
- मेघ + आलय = मेघालय
- मरण + आसन्न = मरणासन्न
- विजय + आकांक्षी = विजयाकांक्षी
- फल + आहार = फलाहार
- रस + आभास = रसाभास
- दीप + आधार = दीपाधार
- स्नेह + आकांक्षी = स्नेहाकांक्षी
आ + अ = आ
- पुरा + अवशेष = पुरावशेष
- मुक्ता + अवली = मुक्तावली
- विद्या + अर्जन = विद्यार्जन
- क्रिया + अन्वयन (अनु + अयन) = क्रियान्वयन
- निशा + अंत = निशांत
- पुरा + अवतश = पुरावतंश (प्राचीन)
- सत्ता + अंतरण = सत्तांतरण
- द्राक्षा + अरिष्ट = द्राक्षारिष्ट
- महा + अमात्य (मंत्री) = महामात्य
- द्राक्षा + अवलेह = द्राक्षावलेह
- तथा + अपि = तथापि
- द्वारका + अधीश (अधि + ईश) द्वारकाधीश
- रचना + अवली = रचनावली
- सुधा + अंशु (किरण) = सुधांशु (चंद्रमा)
- ब्रह्मा + अंड = ब्रह्मांड
- दीक्षा + अंत = दीक्षांत
- श्रद्धा + अंजलि = श्रद्धांजलि
आ + आ = आ
- श्रद्धा + आलु = श्रद्धालु
- प्रेक्षा + आगार = प्रेक्षागार
- प्रेरणा + आस्पद = प्रेरणास्पद
- निशा + आनन = निशानन
- कारा + आवास = कारावास
- स्वेच्छा (स्व + इच्छा)+ आचार = स्वेच्छाचार
- क्रिया + आत्मक = क्रियात्मक
- रचना + आत्मक = रचनात्मक
- कारा + आगार = कारागार
- द्राक्षा + आसव = द्राक्षासव
- वार्ता + आलाप = वार्तालाप
- दया + आनंद = दयानंद
- भाषा + आवद्ध = भाषाबद्द
- चिकित्सा + आलय = चिकित्सालय
2. इ/ई + इ/ई = ई
- महा + आशय = महाशय
- कृपा + आकांक्षी = कृपाकांक्षी
- शंका + आलु = शंकालु
- विद्या + आलय = विद्यालय
- चिंता + आतुर = चिंतातुर
इ + इ = ई
- योगिन् + इंद्र = योगींद्र (न् का लोप)
- प्राप्ति + इच्छा = प्राप्तीच्छा
- अति + इंद्रिय = अतींद्रिय
- अति + इत = अतीत
- अति + इव = अतीव
- प्रति + इत = प्रतीत
- गिरि + इंद्र = गिरींद्र
- रवि + इंद्र = रवींद्र
- प्रति + इक = प्रतीक
- मणि + इंद्र = मणींद्र
- हरि + इच्छा = हरीच्छा
- कवि = इंद्र = कवींद्र
- मुनि + इंद्र = मुनींद्र
- अभि + इष्ट = अभीष्ट
- अधि + इन = अधीन
इ + ई = ई
- हरि + ईश = हरीश
- अभि + ईप्सा = अभीप्सा
- योगिन् + ईश्वर = योगीश्वर
- परि + ईक्षित = परीक्षित
- प्रति + ईक्षित = प्रतीक्षित
- परि + ईक्षक = परीक्षक
- परि + ईक्षण = परीक्षण
- अधि + ईक्षक = अधीक्षक
- अधि + ईक्षण अधीक्षण
- वारि (जल) + ईश = वारीश (समुद्र)
- परि + ईक्षा = परीक्षा
- वि + ईक्षण = वीक्षण
- प्रति + ईक्षा = प्रतीक्षा
- गिरि + ईश = गिरीश
- क्षिति + ईश = क्षितीश
- कपि + ईश = कपीश
ई + इ = ई
- अधि + ईश्वर = अधीश्वर
- मही (पृथ्वी) + इंद्र = महींद्र (राजा)
- महती + इच्छा = महतीच्छा
- मुनि + ईश्वर = मुनीश्वर
- शची (इंद्र की पत्नी) + इंद्र = शचींद्र (इंद्र)
- यती + इंद्र = यतींद्र
- सुधी + इंद्र = सुधींद्र (विद्वान)
ई+ ई = ई
- फणी (साँप) + ईश्वर = फणीश्वर (शेषनाग)
- फणी (साँप) + इंद्र = फणींद्र (शेषनाग)
- रजनी+ ईश = रजनीश (चंद्रमा)
- नारी + ईश्वर = नारीश्वर
- नदी + ईश्वर = नदीश्वर
- श्री + ईश = श्रीश (विष्णु)
3. उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ
उ+उ=ऊ
- लघु + उत्तम = लघूत्तम
- कटु + उक्ति = कटूक्ति
- सती + ईश = सतीश (शिव)
- मही (पृथ्वी) + ईश = महीश (राजा)
- सु + उक्ति = सूक्ति
- गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
- मृत्यु + उपरांत (उपर + अंत) = मृत्यूपरांत
- बहु + उद्देशीय = बहुद्देशीय
- भानु + उदय = भानूदय
- मंजु + उषा = मंजूषा
- अनु + उदित = अनूदित
- विधु + उदय = विधूदय
- मधु + उत्सव = मधूत्सव
उ + ऊ = ऊ
- लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
- सिंधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि (समुद्र की लहर)
ऊ+ उ = ऊ
- चमू + (सेना) + उत्साह (उद् + साह) = चमूत्साह
- भू + उपरि = भूपरि
- वधू + उक्ति = वधूक्ति
- वधू + उल्लास (उद् + लास) = वधूल्लास
ऊ+ ऊ = ऊ
- भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
- सरयू + ऊर्मि = सरयूर्मि
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मैं सूर्या इस ब्लॉग का लेखक हूँ। मैंने जय नारायण विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है । मेरे पास की जानकारी आप लोगो के साथ साँझा कर रहा हूँ ।अगर कही कोई त्रुटी हो तो आप जरुर टिपण्णी करे । आप बने रहे हमारे साथ शब्द सूत्र पर । धन्यवाद ।