Dwand Samas Ke Udaharan- जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान होते हैं तथा दोनों पदों के बीच में ‘और’ अथवा ‘या’ का प्रयोग होता है। दोनों पदों को मिलाते समय मध्यस्थित योजक लुप्त हो जाता है।
Dwand Samas Ke Udaharan
- दूध-रोटी = दूध और रोटी
- पढ़ा-लिखा = पढ़ा और लिखा
- फल-फूल = फल और फूल
- अन्न-जल अन्न और जल
- देश-विदेश = देश और विदेश
- हरि-हर = हरि और हर
- आगा-पीछा = आगे और पीछे
- कृष्णर्जुन = कृष्ण और अर्जुन
- माता – पिता = माता और पिता
- दाल-रोटी = दाल और रोटी
- पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
- शस्त्रास्त्र = शास्त्र और अस्त्र
- यशापयश = यश और अपयश
- अपना-पराया = अपना और पराया
- मान-सम्मान = मान और सम्मान
- अमीर-गरीब =अमीर और गरीब
- नर-नारी = नर और नारी
- रुपया-पैसा = रुपया और पैसा
- जलवायु = जल और वायु
- नील-लोहित = नीला और लोहित
- शीतोष्ण = शीत और उष्ण
- धर्माधर्म = धर्म और अधर्म
- सेठ – साहूकार = सेठ और साहूकार
- हाथ-मुँह = हाथ और मुँह
- राम-लक्ष्मण=राम और लक्ष्मण
- धनुर्बाण=धनुष और बाण
- लोटा-डोर= लोटा और डोर
- खट-मीठा=खट्टा और मीठा
- घास-फूस =घास और फूस
- हरि-शंकर=हरि और शंकर
- गौरी-शंकर= गौरी और शंकर
- लोक-परलोक=लोक और परलोक
- घर-द्वार =घर और द्वार
- लव-कुश=लव और कुश
इस समास में इस प्रकार के पद भी सम्मिलित होते हैं जिनके दोनों पद संख्या का बोध कराने वाले अर्थात दस-बीस, तीस-चालीस संख्या वाची होते हैं।
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मैं सूर्या इस ब्लॉग का लेखक हूँ। मैंने जय नारायण विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है । मेरे पास की जानकारी आप लोगो के साथ साँझा कर रहा हूँ ।अगर कही कोई त्रुटी हो तो आप जरुर टिपण्णी करे । आप बने रहे हमारे साथ शब्द सूत्र पर । धन्यवाद ।
2 thoughts on “Dwand Samas Ke Udaharan : द्वंद्व समास के उदाहरण”