Gun Sandhi Ke 100 Udaharan- गुण संधि में दो अलग-अलग स्थानों से उच्चारित होने वाले स्वरों के बीच संधि होती है। मिलने वाले दो स्वरों में से भिन्न गुण वाला एक नया स्वर बनता है। अ तथा आ के बाद यदि इ, ई, उ, ऊ या ऋ स्वर आए तो इनके मेल से ‘ए’ ओ और अर हो जाता है यह मेल गुण संधि कहलाती हैं।
Gun Sandhi Ke 100 Udaharan
- बाल + इंदु = बालेंदु
- उप + दिष्टा = उपदेष्टा (अपवाद)
- अल्प + इच्छा = अल्पेच्छ
- हित + इच्छा = हितेच्छा
- इतर + इतर = इतरेतर
- घ्राण + इंद्रिय = घ्राणेंद्रिय
- वाच + इतर = वाचेतर
- स्व + इच्छा = स्वेच्छा
- शब्द + इतर = शब्देतर
- शुभ + इच्छु = शुभेच्छु
- विवाह + इतर = विवाहेतर
- न + इति = नेति
- मानव + इतर (अलावा) = मानवेतर
- भारत + इंद्र = भारतेंद्र
- साहित्य + इतर = साहित्येतर
- जित + इंद्रिय = जितेंद्रिय
- भोजन + इच्छुक = भोजनेच्छुक
- गज + इंद्र = गजेंद्र
- शुभ + इच्छा = शुभेच्छा
- मृग + इंद्र = मृगेंद्र
- मत्स्य + इंद्र = मत्स्येंद्र
- मानव + इंद्र = मानवेंद्र
- कर्म + इंद्रिय = कर्मेंद्रिय
- अंत्य + इष्टि (यज्ञ) = अंत्येष्टि
- योग + इंद्र = योगेंद्र
- प्र + इषिति = प्रेषिति
- देव + इंद्र = देवेंद्र
- योग + ईश्वर = योगेश्वर
- परम + ईश्वर = परमेश्वर
- प्र + ईक्षक = प्रेक्षक
- अप + ईक्षा = अपेक्षा
- स्व + ईरिणी = स्वैरिणी
- रसना + इंद्रिय = रसनेंद्रिय
- यथा + इष्ट = यथेष्ट
- यथा + इच्छा = यथेच्छ
- रमा + ईश = रमेश
- महा + ईश्वर = महेश्वर
- सिद्ध + ईश्वरी = सिद्देश्वरी
- नर + ईश = नरेश
- सर्व + ईश्वर = सर्वेश्वर
- उप + ईक्षा = उपेक्षा
- हषीक (इंद्रिय) + ईश = हृषीकेश (विष्णु)
- अंक + ईक्षण = अंकेक्षण
- महा + इंद्र = महेंद्र
- सुधा + इंदु = सुधेंदु
- राका (चाँदनी रात) + ईश = राकेश
- गुडाका (नींद) + ईश = गुडाकेश (शिव)
- स्व + उपार्जित (उप + अर्जित) = स्वोपार्जित
- वैर + उद्धार (उद् + हार) = वैरोद्धार
- दर्प + उक्ति = दोंक्ति
- प्रेम + उन्मत्त = प्रेमोन्मत्त
- भय + उत्पादक (उद् + पादक) = भयोत्पादक
- पुष्प + उपहार = पुष्पोपहार
- रोग + उपचार = रोगोपचार
- आनंद + उत्कर्ष (उद् + कर्ष) = आनंदोत्कर्ष
- दुग्ध + उपजीवी = दुग्धोपजीवी
- जीर्ण + उद्द्घार (उद् + हार) जीर्णोद्धार
- ज्ञान + उदय = ज्ञानोदय
- पुरुष + उत्तम (उद् + तम) = पुरुषोत्तम
- अंत्य + उदय = अंत्योदय
- प्राप्त + उदक (जल) = प्राप्तोदक
- पूर्व + उक्त = पूर्वोक्त
- पश्चिम + उत्तर (उद् + तर) = पश्चिमोत्तर
- व्यंग्य + उक्ति = व्यंग्योक्ति
- पुरुष + उचित = पुरुषोचित
- शाक + उपजीवी = शाकोपजीवी
- मद + उन्माद (उद् + माद) = मदोन्माद
- वीर + उचित = वीरोचित
- भाव + उदय = भावोदय
- आद्य + उपांत (उप + अंत) = आद्योपांत
- व्यंग्य + उक्ति = व्यंग्योक्ति
- अन्य + उक्ति = अन्योक्ति
- पूर्व + उत्तर (उद् + तर) = पूर्वोत्तर
- नव + उदित = नवोदित
- धन + उपार्जन (उप + अर्जन) = धनोपार्जन
- आत्म + उत्सर्ग (उद् + सर्ग) = आत्मोत्सर्ग
- प्राण + उत्सर्ग (उद् + सर्ग) = प्राणोत्सर्ग
- हत + उत्साह (उद् + साह) = हतोत्साह
- सांग (स + अंग) + उपांग (उप अंग) = सांगोपांग
- मरण + उपरांत (उपर + अंत) = मरणोपरांत
- प्र + उत्साहन (उद् + साहन) = प्रोत्साहन
- हित + उपदेश = हितोपदेश
- रस + उद्रेक = रसोद्रेक
- रस + उत्पत्ति (उद् + पत्ति) = रसोत्पत्ति
- ग्राम + उत्थान (उद् + स्थान) = ग्रामोत्थान
- अन्य + उदर = अन्योदर
- प्रश्न + उत्तर (उद् + तर) = प्रश्नोत्तर
- चरम + उत्कृष्ट (उद् + कृष्ट) = चरमोत्कृष्ट
- चित्र + उपम = चित्रोपम
- मुख + उपाध्याय = मुखोपाध्याय
- मद + उन्मत्त (उद् + मत्त) = मदोन्मत्त
- समास + उक्ति = समासोक्ति
- अतिशय + उक्ति = अतिशयोक्ति
- लंब + उदर = लंबोदर
- सह + उदर = सहोदर
- कथ + उपकथन = कथोपकथन
- सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
- वाल + उचित = बालोचित
- कठ + उपनिषद् = कठोपनिषद्
- मानव + उचित = मानवोचित
आशा करते हैं कि आपको इस ब्लॉग से आपको Gun Sandhi Ke 100 Udaharan के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी संधि से जुड़े हुए अन्य महत्वपूर्ण और रोचक ब्लॉग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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- वृद्धि संधि के उदाहरण : (Vriddhi sandhi ke udaharan) व नियम
- गुण संधि की परिभाषा : (gun sandhi ke niyam) व उदाहरण
- विसर्ग संधि, Visarg Sandhi | नियम व उदाहरण
- व्यंजन संधि की परिभाषा : नियम व उदाहरण सहित
- दीर्घ संधि के उदाहरण : दीर्घ संधि के नियम
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मैं सूर्या इस ब्लॉग का लेखक हूँ। मैंने जय नारायण विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है । मेरे पास की जानकारी आप लोगो के साथ साँझा कर रहा हूँ ।अगर कही कोई त्रुटी हो तो आप जरुर टिपण्णी करे । आप बने रहे हमारे साथ शब्द सूत्र पर । धन्यवाद ।