Gun Sandhi Ke Udaharan : गुण संधि के उदाहरण

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Gun Sandhi Ke Udaharan- गुण संधि में दो अलग-अलग स्थानों से उच्चारित होने वाले स्वरों के बीच संधि होती है। मिलने वाले दो स्वरों में से भिन्न गुण वाला एक नया स्वर बनता है। तथा के बाद यदि इ, ई, उ, ऊ या ऋ स्वर आए तो इनके मेल से ‘ए’ ओ और अर हो जाता है यह मेल गुण संधि कहलाती हैं।

Gun Sandhi Ke Udaharan

अ + इ = ए

  • उप + दिष्टा = उपदेष्टा (अपवाद)
  • बाल + इंदु = बालेंदु
  • हित + इच्छा = हितेच्छा
  • अल्प + इच्छा = अल्पेच्छ
  • इतर + इतर = इतरेतर
  • वाच + इतर = वाचेतर
  • घ्राण + इंद्रिय = घ्राणेंद्रिय
  • स्व + इच्छा = स्वेच्छा
  • शुभ + इच्छु = शुभेच्छु
  • शब्द + इतर = शब्देतर
  • विवाह + इतर = विवाहेतर
  • न + इति = नेति
  • भारत + इंद्र = भारतेंद्र
  • मानव + इतर (अलावा) = मानवेतर
  • साहित्य + इतर = साहित्येतर
  • भोजन + इच्छुक = भोजनेच्छुक
  • जित + इंद्रिय = जितेंद्रिय
  • गज + इंद्र = गजेंद्र
  • मृग + इंद्र = मृगेंद्र
  • शुभ + इच्छा = शुभेच्छा
  • मत्स्य + इंद्र = मत्स्येंद्र
  • कर्म + इंद्रिय = कर्मेंद्रिय
  • देव + इंद्र = देवेंद्र
  • मानव + इंद्र = मानवेंद्र
  • अंत्य + इष्टि (यज्ञ) = अंत्येष्टि
  • योग + इंद्र = योगेंद्र
  • प्र + इषिति = प्रेषिति

अ + ई = ए

  • परम + ईश्वर = परमेश्वर
  • प्र + ईक्षक = प्रेक्षक
  • योग + ईश्वर = योगेश्वर
  • स्व + ईरिणी = स्वैरिणी
  • अप + ईक्षा = अपेक्षा

आ + इ = ए

  • यथा + इच्छा = यथेच्छ
  • रसना + इंद्रिय = रसनेंद्रिय
  • यथा + इष्ट = यथेष्ट

आ + ई = ए

  • महा + ईश्वर = महेश्वर
  • सिद्ध + ईश्वरी = सिद्देश्वरी
  • रमा + ईश = रमेश
  • नर + ईश = नरेश
  • उप + ईक्षा = उपेक्षा
  • सर्व + ईश्वर = सर्वेश्वर
  • अंक + ईक्षण = अंकेक्षण
  • हषीक (इंद्रिय) + ईश = हृषीकेश (विष्णु)
  • सुधा + इंदु = सुधेंदु
  • गुडाका (नींद) + ईश = गुडाकेश (शिव)
  • महा + इंद्र = महेंद्र
  • राका (चाँदनी रात) + ईश = राकेश

अ/आ + उ/ऊ = ओ

अ + उ = ओ

  • वैर + उद्धार (उद् + हार) = वैरोद्धार
  • स्व + उपार्जित (उप + अर्जित) = स्वोपार्जित
  • दर्प + उक्ति = दोंक्ति
  • भय + उत्पादक (उद् + पादक) = भयोत्पादक
  • प्रेम + उन्मत्त = प्रेमोन्मत्त
  • पुष्प + उपहार = पुष्पोपहार
  • आनंद + उत्कर्ष (उद् + कर्ष) = आनंदोत्कर्ष
  • रोग + उपचार = रोगोपचार
  • दुग्ध + उपजीवी = दुग्धोपजीवी
  • ज्ञान + उदय = ज्ञानोदय
  • जीर्ण + उद्‌द्घार (उद् + हार) जीर्णोद्धार
  • अंत्य + उदय = अंत्योदय
  • पुरुष + उत्तम (उद् + तम) = पुरुषोत्तम
  • प्राप्त + उदक (जल) = प्राप्तोदक
  • पश्चिम + उत्तर (उद् + तर) = पश्चिमोत्तर
  • पूर्व + उक्त = पूर्वोक्त
  • व्यंग्य + उक्ति = व्यंग्योक्ति
  • पुरुष + उचित = पुरुषोचित
  • मद + उन्माद (उद् + माद) = मदोन्माद
  • शाक + उपजीवी = शाकोपजीवी
  • वीर + उचित = वीरोचित
  • आद्य + उपांत (उप + अंत) = आद्योपांत
  • भाव + उदय = भावोदय
  • व्यंग्य + उक्ति = व्यंग्योक्ति
  • पूर्व + उत्तर (उद् + तर) = पूर्वोत्तर
  • अन्य + उक्ति = अन्योक्ति
  • नव + उदित = नवोदित
  • आत्म + उत्सर्ग (उद् + सर्ग) = आत्मोत्सर्ग
  • धन + उपार्जन (उप + अर्जन) = धनोपार्जन
  • हत + उत्साह (उद् + साह) = हतोत्साह
  • प्राण + उत्सर्ग (उद् + सर्ग) = प्राणोत्सर्ग
  • सांग (स + अंग) + उपांग (उप अंग) = सांगोपांग
  • मरण + उपरांत (उपर + अंत) = मरणोपरांत
  • हित + उपदेश = हितोपदेश
  • प्र + उत्साहन (उद् + साहन) = प्रोत्साहन
  • रस + उद्रेक = रसोद्रेक
  • रस + उत्पत्ति (उद् + पत्ति) = रसोत्पत्ति
  • अन्य + उदर = अन्योदर
  • प्रश्न + उत्तर (उद् + तर) = प्रश्नोत्तर
  • चरम + उत्कृष्ट (उद् + कृष्ट) = चरमोत्कृष्ट
  • ग्राम + उत्थान (उद् + स्थान) = ग्रामोत्थान
  • चित्र + उपम = चित्रोपम
  • मद + उन्मत्त (उद् + मत्त) = मदोन्मत्त
  • समास + उक्ति = समासोक्ति
  • मुख + उपाध्याय = मुखोपाध्याय
  • अतिशय + उक्ति = अतिशयोक्ति
  • सह + उदर = सहोदर
  • लंब + उदर = लंबोदर
  • कथ + उपकथन = कथोपकथन
  • सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
  • वाल + उचित = बालोचित
  • मानव + उचित = मानवोचित
  • नव + उत्पल = नवोत्पल
  • कठ + उपनिषद् = कठोपनिषद्
  • धीर + उद्धत = धीरोद्धत
  • धीर + उदात्त = धीरोदात्त
  • पर + उपकार = परोपकार
  • पद + उन्नति (उद् + नति) = पदोन्नति
  • यज्ञ + उपवीत = यज्ञोपवीत
  • प्रवेश + उत्सव (उद् + सव) = प्रवेशोत्सव
  • लोक + उक्ति = लोकोक्ति
  • जन + उपयोगी = जनोपयोगी
  • स + उत्साह (उद् + साह) = सोत्साह
  • स + उल्लास (उद् लास) = सोल्लास
  • हर्ष + उल्लास (उद् + लास) हर्षोल्लास
  • नील + उत्पल = नीलोत्पल
  • स + उद्देश्य = सोद्देश्य
  • सूर्य + उदय = सूर्योदय
  • मास + उत्तम = मासोत्तम
  • दर्शन + उत्सुक = दर्शनोत्सुक
  • ईश + उपनिषद् = ईशोपनिषद्
  • उन्नत + उदर = उन्नतोदर
  • भाव + उद्रेक = भावोद्रेक
  • मित्र + उचित = मित्रोचित
  • नव + उन्मेष = नवोन्मेष
  • दलित + उत्थान (उद् + स्थान) = दलितोत्थान
  • पुष्प + उद्यान = पुष्पो‌द्यान
  • रहस्य + उद्घाटन = रहस्योद्घाटन
  • प्राण + उत्सर्ग (उद् + सर्ग) = प्राणोत्सर्ग
  • भाग्य + उदय = भाग्योदय
  • सर्व + उपरि = सर्वोपरि
  • भाव + उद्दीप्त = भावोद्दीप्त
  • दीप + उत्सव (उद् + सव) = दीपोत्सव
  • नव + उदय = नवोदय
  • अवसर + उचित = अवसरोचित
  • वेद + उक्त = वेदोक्त
  • हिम + उपल = हिमोपल

आ + उ =ओ

  • यथा + उचित = यथोचित
  • करुणा + उत्पादक = करुणोत्पादक

अ + ऊ = ओ

  • नव + ऊढ़ा = नवोढ़ा
  • जल + ऊर्मि = जलोर्मि
  • सूर्य + ऊष्मा = सूर्योष्मा

आ + ऊ = ओ

  • महा + उदय = महोदय
  • गंगा + ऊर्मि गंगोर्मि
  • प्र + ऊढ़ = प्रौढ़
  • महा + उत्सव (उद् + सव) = महोत्सव
  • क्षुधा + उत्तेजन (उद् + तेजन) = क्षुधोत्तेजन
  • महा + ऊर्जा = महोर्जा
  • अक्ष + ऊहिनी = अक्षौहिणी (अपवाद)

अ/आ + ऋ = अर् (ऋ → र्)

अ + ऋ = अर्

  • कण्व + ऋषि = कण्वर्षि
  • सप्त ऋषि = सप्तर्षि
  • राजन् + ऋषि = राजर्षि
  • ग्रीष्म + ऋतु = ग्रीष्मर्तु
  • देव + ऋषि = देवर्षि

आ + ऋ = अर्

  • महा + ऋषि = महर्षि

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