Ling Ki Paribhasha -लिंग शब्द का अर्थ है, चिह्न अर्थात् किसी वस्तु या पदार्थ की पहचान का माध्यम। पदों के जिस रूप से किसी विकारी शब्द के पुरुष या स्त्री जाति के होने का बोध हो उसे लिंग कहते हैं।
Ling Ki Paribhasha
Ling Ke Bhed, लिंग के भेद
लिंग भेद – हिन्दी में दो ही लिंग माने गये हैं।
लिंग निर्णय लिंग की पहचान शब्दों के व्यवहार से होती है। कुछ शब्द सदैव पुल्लिंग रहते हैं व कुछ सदैव स्त्रीलिंग एवं कुछ परम्परा के कारण स्त्रीलिंग या पुल्लिंग में प्रयुक्त होते हैं।
पुल्लिंग की परिभाषा
पुल्लिंग : किसी विकारी शब्द की पुरुष जाति का बोध हो वह पुल्लिंग कहलाता हैं।
- ग्रहों के नाम : पुल्लिंग होते हैं (पृथ्वी को छोड़कर) जैसे बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, राहु, केतु, अरूण, वरूण, यम।
- वृक्षों के नाम : (तुलसी, खेजड़ी, कचनार, जामुन व इमली को छोड़कर) शेष पुल्लिंग होते हैं।
- धातुओं के नाम : सोना, ताम्बा, पीतल, लोहा (चाँदी को छोड़कर) पुल्लिंग होते हैं।
- पर्वतों के नाम : देशों, समुद्रों महाद्वीपों, जल और थल (नदी झील, घाटी को छोड़कर) महीनों व दिनों के नाम प्रायः पुल्लिंग होते हैं।
- अनाज : (मक्का, ज्वार को छोड़कर) घी, दूध, दही पुल्लिंग हैं।
- रत्नों के नाम : (मणि को छोडकर) पुल्लिंग होते हैं।
- द्रव पदार्थों के नाम : (लस्सी व चाय को छोड़कर) पुल्लिंग होते हैं।
- शरीर के अंगों के नाम : जैसे-सिर, बाल, नाक, कान, दाँत, हाथ, पैर, मुँह, गर्दन (अंगुली को छोड़कर) पुल्लिंग होते हैं।
- देवताओं के नाम : इन्द्र, यम, वरूण, ब्रह्मा, विष्णु, महेश इत्यादि सब पुल्लिंग होते हैं।
- समय सूचक नाम : क्षण, सैकण्ड, मिनट, घण्टा, दिन, सप्ताह, पक्ष, रात, सायं, संध्या को छोड़कर सब पुल्लिंग होते हैं।
- कुछ आकारान्त संज्ञाएँ पुल्लिंग होती हैं। जैसे नयन, घर, द्वार इत्यादि।
- आपा, आव, आवा, आर, अ, अन, ईय, एरा,त्व, दान, पन,य से अन्त होने वाली भाव वाचक संज्ञाएँ पुल्लिंग होती हैं। ऊन वाचक (न्यूनता या हीनता प्रकट करने वाली) संज्ञाओं (बेटी से बिटिया, लाठी से लाठिया) के अतिरिक्त शेष अकारान्त संज्ञाएँ पुल्लिंग होती हैं।
- वर्ण माला के वर्ण स्वर तथा क से ह तक व्यंजन (इ,ई,ऋ) को छोड़कर सभी पुल्लिंग हैं। ख,ज,न,त्र के अन्त वाले शब्द जैसे सुख, जलज, नयन, शास्त्र आदि पुल्लिंग होते हैं।
- कृदन्त क्रिया का वह रूप जिसका प्रयोग संज्ञा, विशेषण, क्रिया विशेषण आदि शब्दों के समान होते हैं यह धातु के पीछे अक्षर या अक्षर समूह को जोड़कर बनते हैं।
- प्राणी वाचक पुल्लिंग संज्ञाएँ जैसे-पुरुष, आदमी, मनुष्य, लड़का चीता, हाथी, कुत्ता, बैल, बन्दर, पशु, खरगोश, गैण्डा, मेंढ़क, सॉप, मच्छर, तोता, बाज, मोर, कबूतर, कौआ, उल्लू, खटमल, कछुआ आदि।
- वे सभी आनान्त संज्ञाएँ पुल्लिंग होती हैं। जैसे- मिलान, लगान आदि।
स्त्रीलिंग की परिभाषा
स्त्रीलिंग : जिसके द्वारा विकारी शब्द के स्त्री जाति होने का बोध हो वह स्त्रीलिंग कहलाता हैं।
तिथियों, भाषाओं, लिपियों, बोलियों, नदियों के नाम एवं नक्षत्रों देवियों, महिलाओं एवं लताओं के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
- नक्षत्रों में : (हस्त और पुष्प को छोड़कर) अन्यों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- अश्विनी, भरणी, कृतिका इत्यादि।
- व्यंजनों के नाम : (हलवा, रायता, भात को छोड़कर) सभी स्त्रीलिंग होते हैं।
- किराने के नाम : (कपूर, तेजपात के अतिरिक्त) स्त्रीलिंग होते हैं। ईकारान्त संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती हैं। ऊन वाचक या अकारान्त
- संज्ञाएँ : स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे बिटिया, लुटिया, खटिया आदि।
- तकारान्त संज्ञाएँ श्वेत भात, सूत को छोड़कर स्त्रीलिंग होती हैं।
- चन्द्र बिन्दु से अन्त होने वाली संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती हैं (गेहूँ को छोडकर) जैसे’ खडाऊँ, जडाऊँ आदि।
- आ, आई, आइन, आनी, आवट, इया, ई,त,ता,ति आदि प्रत्यय से युक्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं।
सकारात्मक संज्ञाएँ जैसे प्यास, ओस - कृदन्त की अकारात्मक संज्ञाएँ जैसे- लूटमार भाग-दौड़ -कृदन्त की नकारात्मक संज्ञाएँ जैसे मिलन, रहन, तथा इस प्रकार की भाववाचक संज्ञाएँ जिनके अन्त में ट, हट, वट आते हैं, स्त्रीलिंग हैं।
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