संस्कृत वर्ण माला
“न क्षरति इति अक्षरम्”
अर्थात जिसका विनाश नहीं होता है उसे अक्षर कहते हैं। यथा- अ ,क्, ण इत्यादि ।
शब्द
“वर्णानां सार्थक समूहः शब्दः
अर्थात् वर्णो के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं। यथा- कमल, खग, कलम इत्यादि।
वाक्य
“शब्दांना सार्थक समूह: वाक्य:”
अर्थात् शब्दो के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं। यथा- राम घर जाता है।
रामः गृहं गच्छति।*
माहेश्वर सूत्र
1. अडउण्
2. अडउन्।
3.एओड
4.ऐऔच्
5.हयवरट्
6. लण्
7. अमङ्गनम
8.झभञ्
9. घढ़धष
10. जबगडदश
11. खफछठथचटतव्
12.कपय
13. शषसर्
14. हल्
कुछ प्रमुख प्रत्याहार
अच् – अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ओ, ऐ, औ
अक्-अ,इ,उ,ऋ,लृ
एड् – ए, ओ
एच् – ए, ओ, ऐ, औ
झश -झ भ, घ. द, ध, ज, ब, ग,ड, द
जश्- ज, ब, ग, ड, द
खर- ख, फ़ छ, ठ ,थ ,च, ट, त,क,प,श,ष, स्
चर् – च,ट,त,क,प,श, ष, स्
शर् -श,ष, स
हल्- ह,य,व,र,ल, ञ, म,ड,ण,न, झ, भ, घ,ढ़, ध,ज, ब्, ग,ड,द, ख, फ, घ, व, थ्.च ट, त, क्, प, श, ष, स्
झल् -झ, भू, घ, ढ, ध.ज, ब, ग, ड, द, ख,
फ,ह,थ, च ,ट, त, क, प, श, ष, स,ह
यण्- य, व ,ल
वर्णों के उच्चारण स्थान (उच्चारण स्थान इन संस्कृत)
1- अकुहविसर्जनीयानां कण्ठ
अ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ड ) है तथा विसर्ग (:)का उच्चारण स्थान कण्ठ होता है तथा ये कण्ठ की सहायता से बोले जाते है।
2. इचुयशानां तालु –
इ,च ,वर्ग (च,छ, ज,झ ,ञ,य, श का उच्चारण स्थान तालु होता है । अर्थात ये तालु की सहायता से बोले जाते हैं
3. ऋटुरषाणां मूर्धा :-
ऋ,ट वर्ग(ट,ठ,ड,ढ,ण)र,ष का उच्चारण स्थान मूर्धा होता है अर्थात यह मूर्धा की सहायता से बोलें जाते हैं
4. लतुलसानां दन्ता
लृ,त , वर्ग(त,थ, द, ध, न, ) ल एवं स का उच्चारण स्थान दन्त होते हैं। अर्थात् ये दाँतो की सहायता से बोले जाते हैं।
5. उपूपध्मानीयाना मोष्ठी
उ, प,वर्ग (प,फ,ब, भ ,म) का उच्चारण स्थान ओष्ठ होते है अर्थात् ये ओष्ठों की सहायता से बोले जाते हैं।
6. ञमड्णनाना नासिका च
ञ,म, ड, ण तथा न, का उच्चारण स्थान नासिक होता है
7. एदैतो: कण्ठतालु
ए तथा ऐ का उच्चारण स्थान कण्ठ तथा तालु होता है
8 . ओदौतो:कण्ठोष्ठम्
ओ तथा औ का उच्चारण स्थान कण्ठ और ओष्ठ होता है
9. वकारस्य दन्तोष्ठम् (संस्कृत वर्ण माला )
व,का उच्चारण स्थान दन्त और ओष्ठ होता है
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संस्कृत में वर्ण प्रकार- संस्कृत व्याकरण नोट्स
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