विसर्ग संधि की परिभाषा- विसर्ग के पहले वर्ण में अ स्वर हो तथा विसर्ग के साथ विसर्ग के साथ अ,ग,घर,ड़,झ,ञ,ड,ढ,ण,द,ध,न,ब,भ,म,य,र,ल,व में से किसी भी वर्ण के मिलने से विसर्ग के स्थान पर ओ हो जायेगा
विसर्ग संधि के नियम व उदाहरण
- मनः+हारी = मनोहारी
- मनः+ रथ = मनोरथ
- अधः गति = अधोगति
- अधः+गामी = अधोगामी
- रजः+दर्शन = रजोदर्शन
- उरः+ ज = उरोज
- अधः + वस्त्र = अधोवस्त्र
- मनः+ रंजन = गनोरंजन
- यशः+दा = यशोदा
- तपः+बल = तपोबल
- यशः+धरा = यशोधरा
- मनः+ विज्ञान = मनोविज्ञान
- मनः+ व्यथा = मनोव्यथा
- मनः+मालिन्य = मनोमालिन्य
- मनः+ दशा = मनोदशा
- सरः+ ज = सरोज
- तपः+ वन = तपोवन
- तिरः + हित = तिरोहित
- तिरः भाव = तिरोभाव
- शिरः+भाग = शिरोभाग
- मनः+ रोग = मनोरोग
- पयः+द = पयोद
- मनः+नीत = मनोनीत
- मनः+नयन = मनोनयन
- पयः+ निधि = पयोनिधि
- मनः+ ज = मनोज
- शिरः रेखा = शिरोरेखा
- सरः+वर = सरोवर
- मनः+अभिलाषा = मनोभिलाषा
- सरः+ज = सरोज
- वयः+ वृद्ध = वयोवृद्ध
- मनः+योग = मनोयोग
- अधः+भाग = अधोभाग
- तपः+भूमि = तपोभूमि
- अधः+हस्ताक्षरकर्ता = अधोहस्ताक्षरकर्ता
विसर्ग से पहले और बाद में अ होने पर पहला अ और विसर्ग मिलकर ओकार हो जाता है और बाद वाले अ के स्थान पर लुप्ताक्षर का चिह्न लगाया जायेगा। विसर्ग का उ भी बनता है
अ+उ =ओ
- प्रथमः अध्याय = प्रथमोऽज्याय
- मनः अनुसार = मनोऽनुसार
- मनः+अभिराम = मनोऽभिराम
- अन्यः+अन्य = अन्योऽन्य
- मनः+अनुभूति = मनोऽनुभूति
- सः+अहम् = सोऽहम्
- अशः अभिलाषा = यशोऽभिलाषा
- मनः+अभिलाशी = मनोऽभिलाषी
- मनः+अनुकूल मनोऽनुकूल
विसर्ग के साथ त या थ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर स् बन जायेगा-
- अन्तः+तल = अन्तस्तल
- निः+तेज = निस्तेज
- नमः+ते = नमस्ते
- मनः+ताप = मनस्ताप
- निः+ताप = निस्ताप
- दुः+तर = दुस्तर
- निः+तारण = निस्तारण
- बहिः+ स्थल = बहिस्स्थल
विसर्ग से पहले अ,आ को छोड़कर अन्य कोई स्वर आता है तथा बाद में र् हो तो विसर्ग का लोप होगा और उसके पूर्व का ह्रस्व स्वर दीर्घ में बदल जायेगा
- चक्षुः + रोग = चक्षूरोग
- दुः+रज = दूराज
- निः+रज = नीरज
- निः+रन्द्र = नीरन्द्र
- निः+ रस = नीरस
- निः+रव = नीरव
- दुः+ रम्य = दूरम्य
विसर्ग के पूर्व इ,उ हो तथा आगे किसी वर्ग के प्रथम दो अक्षर छोडकर कोई व्यंजन या स्वर हो तो विसर्ग का र और श,स सामने हो तो विसर्ग का श् ,स् हो जायेगा।
- दुः+गुण = दुर्गुण
- दुः +उपयोग = दुरुपयोग
- दुः+शील = दुश्शील
- दुः+जन = दुर्जन
- निः+ जर = निर्जर
- निः+झर = निर्झर
- निः+ गुण = निर्गुण
- निः+ आशा = निराशा
- निःसंदेह = निस्संदेह
- बहिः+मुखी = बहिर्मुखी
- निः+भय = निर्भय
- दुः + शासन = दुश्शासन
विसर्ग के पहले वाले वर्ण में अ का स्वर हो तथा विसर्ग के साथ अ के अतिरिक्त अन्य किसी स्वर के मेल पर विसर्ग का लोप हो जाता है तथा शब्द में कोई परिवर्तन नहीं होता है
- मनः +उच्छेद = मनउच्छेद
- यशः+ इच्छा = यशइच्छा
- अतः+एव = अतएव
- ततः + एव = ततएव
आशा करते हैं कि आपको इस ब्लॉग से आपको विसर्ग संधि के नियम व उदाहरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी संधि से जुड़े हुए अन्य महत्वपूर्ण और रोचक ब्लॉग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
इसके साथ आप हमारे अन्य ब्लॉग को पढ़ सकते है जिसकी लिंक निचे दी गई है।
आप अन्य सामान्य ज्ञान के लिए आप फैक्ट्स पत्रिका पर जा सकते है।

मैं सूर्या इस ब्लॉग का लेखक हूँ। मैंने जय नारायण विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है । मेरे पास की जानकारी आप लोगो के साथ साँझा कर रहा हूँ ।अगर कही कोई त्रुटी हो तो आप जरुर टिपण्णी करे । आप बने रहे हमारे साथ शब्द सूत्र पर । धन्यवाद ।