गुण संधि की परिभाषा

 व उदाहरण

स्वर संधि के कितने प्रकार होते हैं। स्वर संधि का दूसरा भेद गुण संधि की परिभाषा के बारे में अध्याय करेंगे।  

गुण संधि के 10 उदहारण 

काव्य + इतर = काव्येतर इतर + इतर = इतरेतर अन्य + इतर = अन्येतर विवाह + इतर = विवाहेतर

गुण संधि के सूत्र -“आद् गुण”

सज्ञा सूत्र- “आदेड् गुण” यदि प्रथम पद के अंत में हृस्व या दीर्घ अ,ही तथा द्वितीय पद के प्रारंभ में इ,उ,ऋ,लृ मे से कोई स्वर आए तो क्रमशः अ +इ =ए

गुण संधि के संकेत सूत्र – अ + इ = ए

मानव + इतर = मानवेतर साहित्य + इतर = साहित्येतर शुभ + इच्छा = शुभेच्छा अल्प + इच्छा = अल्पेच्छा/छ

गुण संधि के संकेत सूत्र :- अ/आ+उ/ऊ = ओ

स्वर + उदय = स्वरोदय भाग्य + उदय = भाग्योदय महा + उदय = महोदय अन्त्य + उदय = अन्त्योदय

गुण संधि के संकेत सूत्र – अ/आ+ऋ-अर्

सामान्यतः जिन शब्दों के अन्त में ‘र्तु’ र्ण, र्षि आए तो वहाँ गुण सन्धि हो सकती है। वसंत + ऋतु = वसंतर्तु शीत + ऋतु = शीतर्तु

पुरुष + उचित = पुरुषोचित अवसर + उचित = अवसरोचित यथा+उचित = यथोचित दर्प + उक्ति = दर्पोक्ति व्यंग्य + उक्ति = व्यंग्योक्ति